कवि✍️डॉ. निकुंज

🌅सुप्रभातम्🌅



भोर रोग से हो रहित , हो   विकास उजियार। 
रहें    प्रेम  सद्भाव।  से , रहे    अमन  संसार।। 


अंत   नहीं   मन चाह का , रोको उसे बलात। 
रुके योग   अभ्यास से , नहीं   रुके जज़्बात।।


भृगुनंदन जमदग्नि सुत ,  षष्ठ विष्णु अवतार।
मातु   रेणुका    लाडला , करे   जगत उद्धार।।  


महावीर    मंगल    करें , आंजनेय   बलबान। 
हरो सकल  जग आपदा ,करुणाकर हनुमान।। 


जय गणेश विघ्नेश प्रभु , लम्बोदर  हर  रोग।
शिवनंदन गिरिजा तनय, मंगलेश शुभ योग।। 



पुरुषोत्तम   मर्याद  का , राघव    जगदाधार।
सियाराम भज रे मनुज , कौशलेय  जग तार।। 


कैलाशी भुवनेश प्रभु , महाकाल  गिरिजेश । 
नीलकंठ शंकर  शिवम , गंगाधर        देवेश।। 


कवि✍️डॉ. निकुंज


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