प्रिया सिंह

आँसू बहने लगा वक्त थमने लगा
साँस जोरों से मेरा भी चलने लगा


आधियां आ गई मेरे घर चल कर
बादलों में भी सूरज वो छिपने लगा


मन परेशान है किसी की सुनता नहीं
दर्द चहरे से मेरे आज दिखने लगा


वक्त गंभीर था मुझमें ढलता गया
हाल मेरा भी अब तो बिकने लगा


छल मेरे यार का मुझको छलता रहा
मैं जज्बात खुद से ही लिखने गया


दौर दिखावे का था मैं दिखाता ही क्या 
गवाही चाँद सितारों का मिलने गया


इश्क बदनाम था तेरी गली में सनम
मैं जाकर वहां पर अब मिटने लगा


इश्क अकेला सा था उसका कोई ना था
कागजी इश्क का भाव भी गिरने लगा


होना क्या था प्रिया हो क्या ये गया
नाम तेरा भी अब तो ये मिटने लगा



Priya Singh


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