रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा

अर्ज है...
       मात शारदे करो कृपा,
       मिले सभा में सम्मान।
       संदेश परक शब्दों का,
       करो आशीर्वाद प्रदान।।


      रचना ऐसी मैं रच पाऊं,
      जन -जन हितकारी हो।
      मात शारदे बस अब तो,
      वाणी में वासआपका हो।।


      वीणा के तारों से हमकों,
      थोड़ा सा ही दो मिठास।
      हे वरदानी देवी सरस्वती,
     मन से करता हूं अरदास।।
      रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,दौसा


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...