सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"मटका"*
"माटी का मटका साथी,
देता सुख-
जीवन में अपार।
देता रोज़गार कुम्हार को साथी,
पाता शीतल जल-
यहाँ सारा संसार।
फ्रिज़ से भी ठंडा जल साथी,
असीम गुण भरे इसमें-
देता सुखद आभास।
मटके का पानी मिले साथी,
पी कर शांत हो मन-
खुशी मिले अपार।
याद आती मटके की कुल्फी साथी,
देती तन मन को ठंडक-
पाता मन सुख अपार।
माटी का मटका साथी,
देता सुख-
जीवन में अपार।।
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः         सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta     15-04-2020


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