विनय साग़र जायसवाल

दोहे---


लोभ मोह उन्माद से ,क्यों विचलित हैं आप ।
राम नाम उच्चारिये ,मिटें सभी संताप ।।


जिसने एकाकार हो , किया राम का ध्यान ।
नमन उसे करने लगे, सुख वैभव सम्मान।।


हमने भी जब से किया ,राम नाम का जाप ।
धीरे-धीरे मिट गये ,मन के सब संताप ।।


🖋विनय साग़र जायसवाल


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