अवधी विकास संस्थान उ. प्र. के तत्वावधान में ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन

सीतापुर उत्तर प्रदेश


आज कोरोना महामारी का सामना सभी व्यक्ति अपने अपने तरीके से कर रहे है। इसी क्रम में अवधी विकास संस्थान एवं काव्य कला निखार मंच सीतापुर के संयुक्त तत्वावधान  में *सीता जयंती* पर अवधी ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन दो सत्रों में
2 मई और 4 मई को किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कवि जगजीवन मिश्रा जी ने वाणी वन्दना से की। उन्होंने सुनाया-"मइया ललना समुझि दुलरावा करौ, हम बुलाई न बुलाई मुलु आवा करौ।"
रायबरेली की कवयित्री नेहा सोनी ने सुनाया -"कतो मिलति नाइ गांव की निशानी बताव गांव कैसे चली।"
बाराबंकी के प्रसिद्ध कवि रामकिशोर तिवारी ने गंगा को समर्पित छंद सुनाया-"पंथ चली सबका हर्षावति प्रेम पीयूष पियावति गंगा, सत्य सनातन त्याग दया करुणा ममता समुझावति गंगा।" अजय प्रधान ने दोहा सुनाया -"गाइ भैस पालव लगे, अब उनका बेकार।"
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे लखीमपुर खीरी के कवि फ़ारुख सरल ने सुनाया -"होइ गई मकई की फसल जवान कि घर अजा निर्मोइया। बीच खेतवा मा परिगे मचान कि घर आजा निर्मोइया।" विकास बौखल ने सुनाया -"पूस माह के जाड़े मा हमहूँ प्रयाग नहाइ गएन" समीर शुक्ला जी ने सुनाया-" भोरहे मा बोले चिरइया, कोऊ कोऊ का नइया।"
कार्यक्रम का संचालन कर रहे रायबरेली के कवि नीरज पाण्डेय ने सुनाया-"यहिमा सबकै हवै भलाई,राखा जाए साफ सफाई, बिना वजह न बाहर घूमौ सामाजिक दूरी अपनाई। इनके अतिरिक्त कार्यक्रम में मधुप श्रीवास्तव नरकंकाल, समीर शुक्ला, ताराचंद तन्हा,राजमूर्ति सिंह सौरभ, मनीष मगन,दुष्यंत शुक्ला सिंहनादी,डॉ अमित अवस्थी,डॉ हरि फैजाबादी, आलोक सीतापुरी,श्रीमती विनीता मिश्रा एवं बिंदुप्रभा जी ने काव्यपाठ किया।
कार्यक्रम का आयोजन एवं संयोजन काव्य कला निखार मंच के संस्थापक एवं अवधी विकास संस्थान सीतापुर के उप जिलाध्यक्ष *अवनीश त्रिवेदी'अभय'* ने किया।
दोनो सत्रों के अंत मे *अवधी विकास संस्थान* सीतापुर के *जिलाध्यक्ष, श्रीकांत त्रिवेदी* जो ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए दोनों संस्थाओं की ओर से सभी कवियों को *अवधी रत्न सम्मान* से सम्मानित किया।


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