मनोज श्रीवास्तव

***.


आम आदमी


 


आम हो गयाआदमी जहां भी समझो उसे लगाओ


 


कच्चे की बन जाये खटाई या अचार बढ़िया बनवाओ


 


पक जाए तो मीठा इतना अमरस बनता और मिठाई


 


मैंगो शेक त्रप्त कर देता स्वाद न उसका याद दिलाओ


 


!


 


वैसा ही है आम आदमी चाहे उसको जहां बुला लो


 


मिल जायेगा आसानी से बस अपने नारे लगवा लो


 


दंगा भी भड़काने वाले मिल जाते हैं आसानी से


 


जगह जगह दारू मिलती है ठेके वाली ही करवा लो


 


!


 


आम आदमी आम पार्टी आम सभा की बात निराली


 


कवि सम्मेलन खत्म हो गये घर पर ही बजवा लो ताली 


!


मनोज श्रीवास्तव


 


 


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