*राधिका*
31.5.2020
राधिका तूने सृष्टि रचाई
सृष्टि रचाई तूने तेरे मन भाई ...2
सृष्टि रचा के तू मेरे मन भाई
राधिका तूने सृष्टि रचाई
सुन्दर चाँद तारे,धरती निहारें
सूरज की बिंदिया झलकारे
फिर हो सब के आधीन,मेरे मन भाई
राधिका तूने सृष्टि रचाई ....
अन्न उपजाती फूलती फलती
धीर गम्भीर तुम हो पृथ्वी सी
पालन किया तूने,मेरे मन भाई
राधिका तूने सृष्टि रचाई ....
निर्मल जल बन बहती रहती
कभी यमुना सी कभी गंगा सी
प्यास बुझाई तूने मेरे मन भाई
राधिका तूने सृष्टि रचाई ....
प्राण वायु सी बन कर बहती
निर्मल चित तन सुन्दर करती
जीवन प्राण दिया तूने, मेरे मन भाई
राधिका तूने सृष्टि रचाई ....
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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