विष्णु असावा                    बिल्सी ( बदायूँ

221 2122 221 2122


 


मैं मुस्कुरा रहा हूँ दिल मेरा रो रहा है


पूछो न साथ मेरे क्या क्या ये हो रहा है


 


किस मोड़ पर खड़ी है तकदीर तू बता दे 


जो भी था पास धीरे धीरे से खो रहा है


 


बरसात भी न होगी सावन में अब तो ऐसे


ज्यों आँसू आज मेरा मुखड़ा भिगो रहा है


 


पहले बिछा के रखता था फूल रास्तों में


कोई तो बात है अब काँटे वो बो रहा है


 


वो बेवफा नहीं है मैं जानता हूँ उसको


मेरा गुमान मेरी कश्ती डुबो रहा है


 


मिलना कभी बिछड़ना है प्यार का चलन ये


मत रोको विष्णु इसको जो भी ये हो रहा है


 


                     विष्णु असावा


                   बिल्सी ( बदायूँ )


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