डॉ निर्मला शर्मा दौसा राजस्थान

" आपसी सहयोग "


इंसान अकेला रहकर समग्र कार्य नहीं कर सकता


कहावत है न-अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता


जीवन में आपसी सहयोग अत्यंत जरूरी है वैसे ही जैसे


अनेक फूलों को धागे में चुनें तो माला बनती है


परस्पर होता है सहयोग तो मुश्किलें आसान होती हैं


फिर जो चाहे सभी तो मरुधरा में भी नदियाँ बहती हैं


इंसान अगर मिल जाये तो आसमान भी छोटा है


जीवन में आता हर क्षण खुशियों का स्त्रोता है


सहयोग रहे सबका तो हर मुश्किल आसान है


सागर, पर्वत भी फिर उसके लिए लांघना आसान है 


मिले देव-दानव जब तो मिलकर किया सागर मंथन


निकली अमूल्य वस्तुएँ मंथन से संसार के लिए चिरन्तन


एक- एक सैनिक जब मिलता सैन्य टुकड़ी बन जाए


सीमा पर आपस में मिल दुश्मन के छक्के छुड़ाएँ


मिलता जब सहयोग तो एक औऱ एक ग्यारह बन जायें


सब मिल नए समाज की नींव रख रामराज ले आयें


डॉ निर्मला शर्मा


दौसा राजस्थान


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