डॉ. वंदना सिंह लखनऊ

बारिश 


इस बार जब आना 


संग ले आना 


किसी अपने को 


मेरे सपने को


 कहना हवा से 🌪


थोड़ा धीरे चले  


मद्धम मद्धम


 आकर जोर से 


मेरा आंचल ना उड़ाना💃


 बारिश इस बार जब आना . . 


कहना बिजली से ⚡


यूँ कड़क के न चमके✨


 हमें याद आ जाएगा 


डर के उनकी बाहों में 


सिमट जाना☺👀


 बारिश इस बार जब आना . . 


बरसना झूम के कि 


तन मन भीग भीग जाए🌾🌾🌾🌾


 हमें इस बार फिर से है 


कागज की नाव तैराना🚤


 बारिश इस बार जब आना.. 🌧🌧🌈


 बंद कमरों की उबासी को😴


 चेहरे की उदासी को😔


 दिखाकर रूप मस्ताना💋


 हौले से चली जाना 👋


बारिश इस बार जब आना 


बारिश इस बार....


स्वरचित - डॉ वन्दना सिंह लखनऊ


Self written by -


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