कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली

. 🌅सुप्रभातम्🙏


दिनांकः ०३.०६.२०२०


दिवसः बुधवार


छन्दः मात्रिक


विधाः दोहा


शीर्षकः 🌅आये अभिनव भोर🌹


हटे सकल संताप मन, आये अभिनव भोर।


नयी आश नित शक्ति हो, जीवन यापन डोर।। 


है फिसलन इस जिंदगी , तजती झट निज देह।


रत हो जाओ कर्मपथ , पूर्ण करो सत् ध्येय।।


सदाचार नित विनत हो ,लोभ घृणा तज हेय।


करो कार्य नित राष्ट्र हित , परहित सुख हो गेय।।


छोड़ो मत आगत दिवस , शेष रखो मत काम।


पूर्ण करो कर्तव्य को , न जाने कब विश्राम।। 


धन जीवन अनमोल है, कर लो कुछ परमार्थ।


धन जन तन रिश्ते यहाँ , अंत काल सब व्यर्थ।। 


भर दे जग मुस्कान को , सुष्मित करो निकुंज।


खुशियों से भर दे चमन,अमर कीर्ति अलिगूंज।।


अरुणिम बस सेवा वतन, परहित है सत्काम।


मिटे सकल निशि जिंदगी, मिले मुक्ति गोधाम।।


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


रचनाः मौलिक(स्वरचित)


नई दिल्ली


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