मनोज श्रीवास्तव लखनऊ

ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम


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चल रहा है अनवरत ये ज़िन्दगी का क्रम


 


 ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम


 


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अनपढ़ और ज्ञानियों के लिए1ही नियम


 


 ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम


 


*


पाले हुए हैं हम सभी ने जिन्दगी के भ्रम


 


 ना 1सांस हैअधिक ना 1सांस कम


 


*


जब भी गरम हो लोहा तभी चोट कीजिए


 


सांसों की लगातार धौकनी से ही गरम


*


 


खुल कर लिखा है सत्य है ना है कोई वहम


 


 ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम


*


 


जब तक जियेगें चलती रहेगी सधी कलम


 


 ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम


*


 


जायेंगे छोड़ जब जहां ना आंख होगी नम


 


 ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम


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!


मनोज श्रीवास्तव लखनऊ


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