प्रखर दीक्षित फर्रुखाबाद

मयूराक्षी


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निश्छल नयन चंद ला चितवन


नेह पंथ की दिव्य क्रिया है।


जहाँ पुनीत नेह आमंत्रण


उसके पार्श्व में प्रेम प्रिया है। ।


 


गुम्फित अलकें तिलक भाल पर


लोल कपोल अरुणिमा युत हैं।


राहुल पांखुरि मदिर अधर शुचि


रसभीने पर-- पहुँच से च्युत है।।


 


भृकुटि कमाने लक्ष्य शोधती


ज्यों हरिद्रिका युत वपु आभित।


मोर पंख की ओट वारुणी


पूनौ द्युति नछ अति शेभित।।


 


गंगा जल सम पावन स्निग्धा


आरोह वयस्क काञ्चन बाला ।


नखशिख भरण सुहावना अंग- अंग


मा नौ गमकत मधुशाला।।


 


मयंकमुखी द्युति चंद्रकला सी


अधर प्रकंपित स्मित भावन ।


लहूलुहान काम शर करते,


रुप अनूप मनस सत पावन।।


 


प्रखर दीक्षित


फर्रुखाबाद


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