सत्यप्रकाश पाण्डेय

पिता


 


पिता आधार जगत का,


पिता स्वयं संसार।


पितृ हृदय की महानता,


अनुपम और अपार।।


 


पिता शीश का छत्र है,


पिता कष्ट में छांव।


अकथनीय उपकार है,


अवर्चनीय प्रभाव।।


 


पिता ब्रह्म के रूप है,


पिता स्वयं भगवान।


पिता से संसार मिला,


मिला पिता से ज्ञान।।


 


स्व रक्त मांस मज्जा से,


निर्मित कीन्ही देह।


सन्तति हित तन त्याग दें,


नहीं जरा संदेह।।


 


अर्पित है जीवन जनक,


रखना सदा दुलार।


अमित कोष वात्सल्य के,


तव चरणों संसार।।


 


पितृ चरनकमलेभ्यो नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹👏👏👏👏👏


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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