सुनीता असीम

सुब्हा से शाम होती है काम करते करते।  


कुछ लोग थक रहे हैं आराम करते करते।


***


था शानदार मेरा भी नाम इस जहां में।


थकते नहीं इसे तुम बदनाम करते करते।


***


बचते रहे मुसीबत से हम यहां वहां से।


कटता रहा ये जीवन हे राम करते करते।


***


हमने शुरू किया था इक काम ज़िन्दगी में।


दुश्मन थके इसे तो नाकाम करते करते।


***


जज्बा नहीं भुलाया था इश्क का कभी भी।


गुमनाम हो गए इसको आम करते करते।


***


सुनीता असीम


६/६/२०२०


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