अतुल पाठक "धैर्य"

कारगिल विजय दिवस(आलेख)


--------------------------------------


26 जुलाई 1999 एक ऐसा दिन था जिसे हरगिज़ भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि उस दिन भारत ने कारगिल में पाकिस्तान से युद्ध में फ़तेह हासिल की थी।


इस युद्ध में भारत के वीर जांबाज़ सैनिकों ने खराब परिस्थितियों में भी निर्भीक होकर दुश्मनों से जमकर लोहा लिया और विजय प्राप्त की।


भारत और पाकिस्तान की सरहदों पर स्थित कारगिल दुनिया के सबसे ऊँचें और खराब मौसम परिस्थितियों वाला युद्ध क्षेत्र है। 1999 में हुआ युद्ध भारत और पाकिस्तान के टाइगर नामक पहाड़ी पर हुआ था जो कि श्रीनगर से 205 किलोमीटर की दूरी पर है। टाइगर नामक पहाड़ी पर मौसम बहुत ठंडा होता है जो कि रात में -45 डिग्री तक पहुंच जाता है। भारत ने निर्भीक होकर उनका सामना किया और जल्द ही बढ़ते भारतीय फौज़ के दबाव और अमेरिका के दबाव के कारण पाकिस्तान को अपनी फौज़ को पीछे हटाना पड़ा। इसके साथ ही भारतीय सेना ने उन इलाक़ों पर फिर से कब्ज़ा कर लिया जिस पर पाकिस्तान कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा था।


भारतीय फौज़ द्वारा किये गए इस संघर्ष को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया और यह युद्ध आख़िरकार कुल 2 महीनों बाद 26 जुलाई 1999 को खत्म हुआ और भारत ने इसमें विजय पाई। तभी से यह दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 


कारगिल युद्ध एक ऐसी घटना है जो सदैव हर नागरिक के स्मृति पटल पर रहती है। हमारी भारतीय सेना एक माँ की तरह है जो निस्वार्थ भाव से काम करती है और बदले में कुछ नहीं मांगती है। कारगिल युद्ध में हमारी सेना के इस वीर बलिदान को कभी भी भुलाया जा सकता और यह हमें हमेशा प्रेरित करेगा। 


इस वीर बलिदान की कड़ी में एक नाम कैप्टन बत्रा का भी आता है जिन्होंने अपने जूनियर साथी लेफ्टिनेंट नवीन की जान बचाने के लिए अपनी जान भी कुर्बान कर दी।


जब कैप्टन बत्रा अपने कंधे पर उठाकर जूनियर लेफ्टिनेंट नवीन को सुरक्षित जगह पर ले जा रहे थे तभी पाक सैनिकों ने उन पर जानलेवा हमला बोल दिया जिससे एक गोली उनके सीने को भेदती हुई निकल गई। खून से लथपथ काया होने के बावज़ूद भी उन्होंने अपने साथी नवीन को सुरक्षित जगह पर पहुँचाया और पाक सेना के पाँच सैनिकों को मौत के घाट उतारा और खुद ने भारत माँ की आन में शहादत दे दी। कैप्टन बत्रा ने 10 पाक सैनिकों को मारकर पॉइंट 5140 चोटी पर तिरंगा फहराया। कैप्टन बत्रा की शहादत के बाद कैप्टन रघुनाथ(वर्तमान में रिटायर्ड कैप्टन) ने कमान संभाली और साथियों सहित दुश्मनों पर हमला बोला और पाक सेना के ग्रुप कमांडर इम्तियाज़ खां समेत 12 पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारकर बर्फ़ीली चोटी पर भी तिरंगा फहराया।


यह थी वीर जांबाज़ सैनिकों की कारगिल फ़तेह की अमरकहानी। 


कारगिल विजय दिवस पर आओ मिलकर उन वीर शहीदों को नमन करें जिन्होंने देशप्रेम में अपना बलिदान दे दिया। 


जय हिन्द जय हिन्द की सेना 


@


जनपद हाथरस(उ.प्र.)


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...