शिक्षा Bsc M. A. BTC
पता स्थायी। 157 सिंधिकोलोनी कम्पू लश्कर ग्वालियर मध्य प्रदेश
कविता कहानी लिखना ओर ड्राइंग ये मेरे बचपन से प्रिय विषय।
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1मुझको ग़मों के साये में जीना सिखा गया ♀
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वक़्त एसा मरहम जो सब कुछ भुलना सिखा गयi
बुझा बुझा सा मन में ,आसका दीपक जला गया
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ढाइ आखरप्रेम का जिन्दगी जीना सिखा गया
नफरत अपनों के दिलो में आग एसी लगा गया
भाई भाई को आपस म लड़ा गया,
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पड़े लिखे लोगो का एसा जमाना आ गया
अपने बुजुर्गो का ये सम्मान करना भुला गया
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आधुनिकता के नाम पर देश की संस्कृति को भुला गया ।।
आँखों से शर्म ह्या के सiरे परदे गिरा गया
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तुम्हे भूले तो लगा जिन्दगी भूल गई जेसे
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तुम्हे भूले तो लगा जिन्दगी भूल गई जेसे
आसमा से देखा तो लगा जमी अपनी से जैसे
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भीड़ में भी रह के देखा पर तनहा तब भी जैसे
पराओ से क्या उम्मीद अपने भी पराये जैसे
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एक तू न लगे तो जिन्दगी में कमी से जैसे
मुस्कराते रहते हे पर अन्दर कुछ गमी सी जैसे
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न बनी न ठनी फिर भी आँखों में कुBछ नमी सी जैसे
तुम्हे भूले तो लगा जिन्दगी भूल गई जैसे
तम्हारे बिन माधुरी अधूरी सी लगे जैसे।।
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^क्या बात हे अपने ही .....
आज पीठ में खंजर भोखने लगे...
.लोगो को छोरो हम तो ....
खुदअब अपनी बात से मुकरने लगे,,,,,
,,अब तो लोग भूल गये ...
घर के सामने से यु गुजरने ल गे.....
न जाने क्यों .दुआ सलाम से भी लोग अब तो कतराने लगे,,
,,आज फिर लोग क्यों हम से डरने लगे।।
^^^^^^^^^^^^^(4)^^^^^^^^^^^^^^
छोटी छोटी बात पर मुझे आजमाना छोर दो
अपने तो आखिर अपने होते ,अपनों से बात छुपाना छोर दो
जख्म खाए हुए हे ,अब तो सताना छोर दो
जा अब ना याद आ ,तुम यादो में आना छोर दो
फासले हे अब तो सपनो में आना जाना छोर दो ।
दिल्लगी बहुत हो चुकी अब तो दिल लगाना छोर दो।
हम तो डरे हुए हे अब आँखे दिखाना छोर दो।।
^^^^^^^^^^^^^^(5)^^^^^^^^^^^^^ये मनवा ये मनवा चले हवा के जैसे ,
कभी इधर कभी उधर उड़े जैसे ,
इसकी चाल का पता नही कैसे
ये बहके इधर उधर आंधी तूफान के जैसे ।।
कभी सच को माने कभी झूट को
कभी प्रेम में डूबे तो कभी नफरत अछि लगे इसे ।।
न रहे एक जगह पे
कभी शांति के दीप जलाता है
कभी आक्रामक हो जाता है
कभी आस का घर कर जाता
कभी घोर निराशा में डूब जाता
ऐसे।।
के मनवा ये मनवा चले हवा के जैसे।।
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