राजेंद्र रायपुरी

दोहा छंद पर एक मुक्तक- - 


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सावन आया आ चलें, 


                     हम भोले के द्वार।


गंगा जल अर्पित करें,


                    और करें जयकार।


दर्शन तो शायद मिले, 


                मंदिर हैं सब बंद,


कोरोना का है कहर,


                चहु दिश अबकी बार।


 


             ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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