कमल कालु दहिया

मुल्क की हिफाजत में फिर सो गया, 


वह जन्नत वाली गलियों में खो गया।


 


 यहां देखो गम कितने हैं,


    पत्नी का सिंदूर नहीं रहा।


 किसको यह बूढ़े मां बाप बेटा कहे,


      पुत्र का दस्तूर नहीं रहा।।


 


 अपने जिस्म में गोलियां बो गया,


 मुल्क की हिफाजत में फिर सो गया। 


 


नन्ही सी बिटिया ,


    क्यों बार-बार पापा बुलाती है,


 आंसू पीती है मां ,


    और शांत करके बेटी को सुलाती है।


 


 कबसे फौजी था शहीद हो गया,


 मुल्क की हिफाजत में फिर सो गया।। 


 


नयनों की पलके इतनी भीगी है ,


   जैसे दरिया तो छोटा, समन्दर हो गया हो।


 बारूद तो जले है सरहद पे,


 यहां जैसे बारूद से भयंकर मंजर हो गया हो।।


 


 आखिर ये खुशहाल परिवार रो गया,


  मुल्क की हिफाजत में फिर सो गया।।


 


नाम - कमल कालु दहिया 


पता - शेरगढ., जोधपुर, राजस्थान


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