डॉ बीके शर्मा 

मैं तरसा 


तुम तरसो 


आओ प्रियतम


दो बूंद तो बरसो 


 


ना मन विचलित हो


फिर मेरा 


एक बार मिलो 


ना तुम बिसरो


मैं तरसा 


तुम तरसो 


 


तुम साथ चलो 


हम ना रह पाए 


पकड़ वाहें 


तेरे संग जाएं


तुम साथ रहो 


हमें परखो


मैं तरसा 


तुम तरसो 


 


तुम ध्रुव सी अटल 


मेरा प्रेम प्रबल


आज नहीं तो 


चलना है कल 


स्वीकार मुझे 


बंधन तेरा 


पास तो आओ 


अभिनंदन तेरा 


तुम तरस करो


ना विचरो 


 


ना तुम तरसो


ना मै तरसूं


थाम हाथ संग ले चल साकी


सामना तेरा मेरा अभी है बाकी


 


डॉ बीके शर्मा 


उच्चैन भरतपुर राजस्थान


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