एस के कपूर श्री हंस

बाल कविता


 


बच्चे तुम ही हो भविष्य के


भारत भाग्य विधाता।


तुम से ही देश का कल


सुनहरा है हो पाता।।


आज का तेरा बचपन ही


कल की दुनिया होगी।


यही बात तो तुम्हें मैं हर 


रोज़ हूँ बतलाता।।


 


आज के तेरे खेल खिलौने


कल के यंत्र होंगें।


तेरी विद्या से ही सिद्ध


कल के मंत्र होंगें।।


तेरे कंधों पर ही भार होगा


सामाजिक तंत्र का।


तुझसे ही मजबूत राष्ट्र के


स्तम्भ गणतंत्र होंगें।।


 


तुझको भारत नव निर्माण


का बीड़ा उठाना है।


देश की रक्षा का भी तुझको


बिगुल बजाना है।।


तेरी बुनियाद पर खड़ी बुलंद


भारत की इमारत।


तुझको ही ऐसा अखंड विश्व


गुरु भारत बनाना है।।


 


तेरे नन्हें हाथ कल देश 


की नींव होंगें।


पूरे करने सपने राष्ट्र के


भी असीम होंगें।।


तुम ही बनोगे कल के बापू


सुभाष भगत सिंह।


तेरे कल में ही देश के


राम रहीम होंगें।।


 


तुम हो देश के कर्ण धार


कल की विरासत हो।


तुम ही तो कल की संसद


देश की सियासत हो।।


तुम ही हो रूपरेखा कल के


भारत इतिहास की।


तुम ही तो कल के देश


की इबादत हो।।


 


एस के कपूर श्री हंस


      बरेली


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