मदन मोहन शर्मा 'सजल'

लुटाई हैं जिंदगी


 


किसी ने हँसकर मुस्कराकर गुजारी है जिंदगी


हमने तन्हाई के आलम में गुजारी है जिंदगी,


 


कसूर हमने नहीं किया सनम मोहब्बत दिल को हुई


तड़फती है रोती है मौत ने पुकारी है जिंदगी,


 


पता नही था पत्थर दिल बेवफा से दिल लगा बैठे


आसमां पर बिठाकर बेसुध हो गिराई है जिंदगी,


 


हर पल बिछाए फूलों के गुलदस्ते उनकी राह में


कुचल दिए सब अरमां जफ़ा तले मिटाई है जिंदगी,


 


खून के कतरे बहाती है आँखे हमेशा याद में 


'सजल' जफ़ा में वफ़ा का खजाना लुटाती है जिंदगी।


 


मदन मोहन शर्मा 'सजल'


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