मैं हिंदुस्तानी
हिंदुस्तान मेरी जान,
मेरी यही कहानी ।
फक्र मैं हिंदुस्तानी
फक्र मैं हिंदुस्तानी।
ऊँचे पर्वत गहरी नदियाँ
बल खाता सागर है
नदियों को कहते हैं माता
पूजें पीपल जड़ है
पावन गंगा माता का है ,
झर झर बहता पानी।
फक्र में हिंदुस्तानी।
उत्तर ,दक्षिण, पूरब, पश्चिम
मिलकर सारे एक हैं ।
एक बनाएं अपना भारत ,
सब के इरादे नेक हैं ।
जात -पात और धर्म भेद की
हुई पुरानी कहानी ।
फक्र में हिंदुस्तानी।।
सीमा पर तैनात हैं प्रहरी ।
अपनी आंख बिछाए।
भारत माता को तड़पाने ।
गर कोई दुश्मन आये।
गांव घरों से निकल पड़ेंगे ।
बनकर हम बलिदानी ।
फक्र में हिंदुस्तानी।।
विश्व गुरु की राह चलाएं ।
भारत अपने प्यारे को ।
विश्व ताज सर पर रख वाएँ ।
भारत अपने न्यारेको ।
पूरी दुनिया के वतनो में
भारत का नहीं सानी।
फक्र मैं हिंदुस्तानी।।
रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर सी जी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें