सुषमा मोहन पांडेय

तुम्हीं मेरी आस्था हो, तुम्हीं मेरा विश्वास।


तेरी ही भक्ति में है मेरा विश्वास।


सुख हो या दुख मुझे कुछ भी न पता,


रहती हमेशा सिर्फ तुमसे ही एक आस।


 


 जबसे होश संभाला, तुझको ही अपना पाया,


चारो ओर मुझे कोई और, नजर न आया।


बंद नयन कर जो तुझे देखा है मैंने,


हरदम तुझको ही अपने करीब पाया।


 


मेरे सब कुछ तो तुम्हीं हो,


मेरा हँसना रोना भी तुम्हीं हो,


जो भी कुछ आज तक है मैंने पाया,


मेरे हर कर्म के साक्षी भी तुम्हीं हो।


 


पूजा, तपस्या, धर्म-अधर्म, कुछ


मुझे मालूम नहीं


पाप-पुण्य,ज्ञान-अज्ञान ये मैं जानूँ नहीं।


मेरी रोम रोम में बसे हुए हो, इतना मैं जानती हूँ


दृढ़ अहसास है मेरी आस्था का, और कुछ जानूँ नहीं।


 


 


सुषमा मोहन पांडेय


सीतापुर उत्तर प्रदेश


 


सुषमा मोहन पांडेय


 सीतापुर, उत्तरप्रदेश। 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...