डॉ0 हरि नाथ मिश्र

बेफ़िक्र जिंदगी


बेफ़िक्र हो कर ज़िंदगी जीना है अति भला।


गर रोड़ें आएँ राह में तो करना नहीं गिला।।


 


आए गमों का दौर तो न धैर्य छोड़ना,


खोना नहीं विवेक जंग से मुख न मोड़ना।


जीवन का है ये फ़लसफ़ा समझ लो दोस्तों-


जिसने जिया है इस तरह,उसी को सब मिला।।


        गर रोड़ें आएँ राह में........।।


पर्वत-शिखर पे झूम के बादल हैं बरसते,


नदियों के जल-प्रवाह तो थामे नहीं थमते।


जिन शोखियों से शाख पे निकलतीं हैं कोपलें-


थमने न देना ऐसा कभी शोख़ सिल-सिला।।


          गर रोड़ें आएँ राह में.........।।


क़ुदरत का ही कमाल है ये सारी क़ायनात,


रहता कहीं पे दिन है तो रहती कहीं पे रात।


गुम होते नहीं तारे चमका करे यह सूरज-


महके है सारी वादी यह फूल जो खिला।।


          गर रोड़ें आएँ राह में..........।।


जब नाचता मयूर है सावन में झूम के,


कहते हैं होती वर्षा अति झूम-झूम के।


जो श्रम किया है तुमने वह फल अवश्य देगा-


मेहनतकशों के श्रम का मीठा है हर सिला।।


        गर रोड़ें आएँ राह में तो करना नहीं गिला।।


                     © डॉ0 हरि नाथ मिश्र


                        9919446372


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