डॉ0 हरि नाथ मिश्र

साक्षरता


मानव बनता सभ्य तब,जब हो अक्षर-ज्ञान।


चलो चलाएँ मिल सभी,साक्षरता-अभियान।।


 


अक्षर-ज्ञान-अभाव तो,है जीवन-अभिशाप।


शिक्षा से सुधरे सभी,मानव-क्रिया-कलाप।।


 


विश्व-समस्या यह विकट,करें इसे निर्मूल।


करें सजग सबको अभी,बिना किसी को भूल।।


 


केवल भाषण से नहीं,होगा इसका काम।


घर-घर जाकर छेड़ना,है इसका संग्राम।।


 


जन-जागृति,जन-चेतना,शिक्षा-अभिरुचि साथ।


संभव होगी जब मिलें, सबके हाथ से हाथ ।।


 


शिक्षा से कल्याण हो,शिक्षा शान समाज।


शिक्षा को विकसित करें, दृढ़प्रतिज्ञ हो आज।।


 


साक्षरता का पर्व यह,दीपक ज्ञान-प्रकाश।


जले ज्ञान की ज्योति जग,रवि-शशि इव आकाश।।


              © डॉ0 हरि नाथ मिश्र


                  9919446372


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