डॉ0 रामबली मिश्र

वैज्ञानिक संधान में,मूलभूत अनुमान।


बिन अनुमानों के नहीं,बढ़ता है संधान।।


 


खोजी करता रात-दिन,नियमित पावन खोज।


खोज -जगत अनुमान का,करता है सम्मान।।


 


जहाँ कहीं अनुमान है,वहीँ खड़ी है खोज।


खोजी के दिल में सदा,वसता है अनुमान।।


 


खोजी को जाना कहाँ,क्या उसका उददेश्य?


दिशा बताता चलत है,खोजी को अनुमान।।


 


दीप शिखा बन राह को,दिखलाता है नित्य।


अग्र-अग्र चलता सदा,बन प्रकाश अनुमान।।


 


हो सकता है सत्य यह,अथवा झूठ सफेद।


नहीं परीक्षण के बिना,सत्य-झूठ अनुमान।।


 


तथ्यों के अलोक में,अनुमानों का लोक।


तथ्य बताते हैं यहीं,कितना सच अनुमान।।


 


होती रहती रात-दिन ,अनुमानों की जाँच।


नियम और सिद्धान्त को,गढ़त सत्य अनुमान।।


 


वैज्ञानिक सोपान यह,इसका बहुत महत्व।


एक कदम इसके बिना,चलत नहीं विज्ञान।।


 


यह खोजी का हाथ है,यह खोजी का पैर।


हो सकता इसके बिना,कभी नहीं संधान।।


 


शव्दकोश विज्ञान का,यह है अमित अथाह।


है वैज्ञानिक जगत का,मूल तत्व अनुमान।।


 


जीवन के हर क्षेत्र में,इसका है उपयोग।


अनुमानों पर है टिका,जीवन का संधान।।


 


रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


9838453801


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...