निशा अतुल्य

शब्द सीढ़ी काव्य सृजन 


रंग,तरंग, अंतरंग, जलतरंग, अंग-प्रत्यंग


 


रंग इंद्रधनुषी बिखरे चहुँ ओर


नैनो ने नए ख़्वाब सजाए ।


 


तुमसे मिलने की ख़्वाईश 


मन में अज्जब तरंग जगाए।


 


अंतरंग भाव बतलाऊँ कैसे अपने


पिया तुम बिन सावन सूना जाए।


 


हिये में उठे शूल जलतरंग से


नैनन रात रात नीर बहाए।


 


विरह अग्नि साजन तुम बिन


अंग-प्रत्यंग मेरा धहकाए ।


 


निशा अतुल्य


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