लो प्रभु के गुण गावत ।
शांति सुख सब पावत ।।
सुन्दर सी छवि भावत ।
ध्यान सभी प्रभु आवत । ।
छोड़ कहाँ अब जावत ।
ये जीवन अब भावत ।।
लो तम अब मिटावत ।
ज्ञान प्रकाश दिखावत ।।
दूर कहाँ अब धावत ।
दर्शन पावत जावत ।।
मंदिर तो सब जा कर ।
भोर भयी सब गा कर ।।
आज नहीं अब सोवत ।
सोवत जो वह खोवत ।।
खोये सभी कुछ रोवत ।
पाप कहाँ अब धोवत ।।
(C) रवि रश्मि अनुभूति
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