सत्यप्रकाश पाण्डेय

तेरी शरण हूं बंशीवाले....


 


जग रचयिता माखन चोरी कर


माखन चोर कहावें


जग को दंडित करने वाले हरि


खुद ही सजा कूँ पावें


 


कैसे अजब खिलाड़ी बंशीधर


माँ से करें हैं ठिठोली


यशोदा मन में मोद भरें प्रभु


बोल के तोतली बोली


 


रास रचैया हलधर के भैया


गोप ग्वाल संग खेलें


भव की रक्षा करने वाले हरि


कैसे कैसे करें झमेले


 


हे आनन्द कन्द मन मोहन


ये सत्य तो तेरे हवाले


काटो हरि जग जाल के फंदे


तेरी शरण हूं बंशीवाले।


 


श्री कृष्णाय नमो नमः


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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