सुनीता असीम

इश्क की बाजी लगा दी जाए।


ओट घूंघट की हटा दी जाए।


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मीत जिसको न मिले मन का सा।


आस मिलने की जगा दी जाए।


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चैन से जो जी रहा हो उसको।


क्यूं बेचारे को सजा दी जाए।


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फेंकता कौन सही है पासे।


चलके शतरंज बिछा दी जाए।


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आस जिसकी खो गई जीने की।


उसको उम्मीद बंधा दी जाए।


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बिन पिए होश गए हों जिनके।


आज उनको भी पिला दी जाए।


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कुछ जगह देना मेरे दिल को भी।


धाक इसकी भी जमा दी जाए।


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सुनीता असीम


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