संदीप कुमार विश्नोई रुद्र

जय माँ शारदे


विश्व प्रकृति दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ


मनहरण घनाक्षरी


 


प्रकृति की गोद में ही , जीव जंतु पैदा होते , 


इसके ये जीव सब , इसमें समाते हैं। 


 


कीजिए न खिलवाड़ , आप इस से जी अब , 


इसके पहाड़ नदी , सब को लुभाते हैं। 


 


काटते हो वृक्ष जब , दर्द भी होता है इसे , 


तभी तो भुकंप और , बाढ़ नित आते हैं। 


 


कीजिए जी सच्ची प्रीत , जीव जंतुओं से आप , 


धरा को सजाने आए , प्रीत गीत गाते हैं। 


 


संदीप कुमार विश्नोई रुद्र


गाँव दुतारांवाली अबोहर पंजाब


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...