सुनीता असीम

तुम कहो रूठकर हम किधर जाएंगे।


अब रहोगे जिधर तुम उधर जाएंगे।


***


फेर लोगे अगर आप हमसे नज़र।


तो खुदा की कसम हम बिखर जाएंगे।


***


आपकी जुस्तजू सिर्फ दिल में रही।


आपका वस्ल पा हम निखर जाएंगे।


***


हिज्र पाके समझ आ गया ये हमें।


आपके साथ अब दिल जिगर जाएंगे।


***


रास्ते में अगर आ गए ख़ार तो।


पांव रखकर उन्हीं पर गुज़र जाएंगे।


***


प्यार सच्चा अगर साजना का रहा।


हम नहीं फिर इधर से उधर जाएंगे।


***


आरज़ू अब सुनीता यही कर रही।


हम इन्हीं आशिकों के नगर जाएंगे।


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हम तो डरते हुए दीवार से लग जाते हैं।


 


देख के भूत को बीमार से लग जाते हैं।


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इस कदर प्यार उन्हें करते रहे हैं हम तो।


वो हमें इश्क की दरकार से लग जाते हैं।


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मुस्कराकर वो हमें देख लिया करते जो।


ख्वाब अपने सभी साकार से लग जाते हैं।


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है जमाने को खबर इश्क की अपने ऐसी।


सबकी दीवार पे इश्तिहार से लग जाते हैं।


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ऐसी बेमोल मुहब्बत की तमन्ना सबको।


इसको पाने को खरीदार से लग जाते हैं।


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सुनीता असीम


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