सुनीता असीम

अंधेरा भी मुझे अब तो नया रस्ता दिखाता है।


महर मुझपर खुदा की है सभी बढ़िया दिखाता है।


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अगर है आदमी सच्चा रखे ईमान की। दौलत।


उसे भगवान बनकर जोत फिर दुनिया दिखाता है।


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यही दस्तूर दुनिया का हुआ है आजकल देखो।


करे जो काम शैतानी उसे ज्ञ अच्छा दिखाता है।


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जिसे विश्वास है रब पर बनें सब काम बिगड़े भी।


बिगड़ते भाग्य को उसके खुदा बनता दिखाता है।


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सभी हो बंद रस्ते भी नहीं मंजिल दिखाई दे।


खुदा उसको झरोखा इक नया खुलता दिखाता है।


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सुनीता असीम


१९/१०/२०२०


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