विनय साग़र जायसवाल

ग़ज़ल -


 


ज़ुल्म कैसा हुआ है ख़ुदा देखिए


हर तरफ़ दिख रही है बवा देखिए


 


जीना मरना भी दोनों हैं आसां नहीं


जाने किसकी लगी बद्दुआ देखिए


 


 बंद घर में भी कब तक रहे आदमी


बैठे बैठे भी दम है घुटा देखिए 


 


हर किसी की दुआ है ख़ुदा से यही


ऐसी मुश्किल न दीजे सज़ा देखिए


 


मिन्नतें करते हम थक गये हैं ख़ुदा


सुन भी लीजे हमारी सदा देखिए


 


बच्चे बूढ़े सभी अब परेशान हैं


इनकी जानिब ख़ुदा भी ज़रा देखिए


 


बिन दवा के हैं *साग़र* ख़ुदा सब दुखी


आप ही भेजिए कुछ दवा देखिए 


 


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल 


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