डॉ0 हरि नाथ मिश्र

राम-कथा


नगर अयोध्या है बसा,पावन सरयू-तीर।


जन्म-भूमि यह राम की,भरी फूल-फल-नीर।


 


गुरु वशिष्ठ-आशीष से,राम सहित सब भ्रात।


शिक्षा ले कर हो गए,गूढ़ ज्ञान-निष्णात।।


 


पुनि जा विश्वामित्र सँग,राम-लखन धनु-वीर।


बध कर दनुजों को किए, यज्ञ-कर्म अति थीर।।


 


पिता-वचन को मानकर,ले हिय में विश्वास।


राम,लखन-सीता सहित,वन में किए निवास।।


 


रावण सिय हर ले गया,सिंधु-पार निज धाम।


ले कर कपि-दल शीघ्र ही,किए चढ़ाई राम।।


 


कर विनाश लंका सहित,रावण-सकल समाज।


किए थापना राम जी,सुखी-राममय-राज।


 


होती है जय सत्य की,हैं प्रमाण प्रभु राम।


 जग-मिथ्या अभिमान से,बने न कोई काम।


               © डॉ0 हरि नाथ मिश्र


                   9919446372


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