डॉ0 निर्मला शर्मा

" देवोत्थानी एकादशी "


 


क्षीर सिंधु में हरि विराजे


शेषनाग की शैया साजे


चरण दबाती बैठी माता


श्रीहरि माँ लक्ष्मी संग राजे


देवोत्थानी एकादशी पर जागे


जन् जन् के मन में है विराजे


शुभ कार्यों का हुआ है प्रारम्भ


चार मास बाद देव हैं जागे


कार्तिक मास की एकादशी यह


तुलसी विवाह की शुभ घड़ी यह


शालिग्राम तुलसी संग कर परिणय


आज के दिन ही धाम पधारे।


 


डॉ0 निर्मला शर्मा


दौसा राजस्थान


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...