डॉ0निर्मला शर्मा

भाई बहन का प्यार


भाई बहन का प्यार


नटखट सा वह अनुराग


बचपन की सुंदर यादों मैं


बसा है वह संसार


रूठना- मनाना,


 खेलना- कूदना


छीनना- झपटना 


और संग लड़ना


किताबों से होती थी


 तेरी मेरी वो यारी


पढ़ते थे जब संग 


भूल जाते दुनिया सारी


यादों मैं अब भी


समाहित है बातें


ममता का आँचल


वो चूल्हे की रोटी


पंचामृत सी लगती थी


बाजरे की रोटी


घर का आँगन


बना था गुलज़ार


गूँजती थी किलकारियाँ


तो आती थी बहार


भाई मेरा प्यारा


हृदय का दुलारा


जीवन के कालखण्ड का


सुखद अहसास प्यारा


बन्धन बहन भाई का


पवित्र सबसे न्यारा


लगाऊँ मैं टीका


करूँ तेरा स्वागत


भाई दूज के दिन


मिली अनुपम सौगात


व्यस्त जीवन से


समय निकाल


भाई आया चलकर


अपनी बहन के द्वार


बना रहे हमेशा


ये भाई बहन का प्यार


संसार में बड़ा ही निराला है


ये भाई बहन का अनुराग


 


डॉ0निर्मला शर्मा


दौसा राजस्थान


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