डॉ०रामबली मिश्र

*तिकोनिया छंद*


 


करो कहो मत,


यह है ताकत।


दुनिया सहमत।।


 


मुँह को खोलो,


सुंदर बोलो।


साथ ले चलो।।


 


प्रीति निभाओ,


सेज सजाओ।


पर्व मनाओ।।


 


अति रंगीला,


बहुत छवीला।


परम रसीला।।


 


आ जाओ अब,


गुण गाओ तब।


अब ना तो कब??


 


जोड़ मिलाओ,


रच-बस जाओ।


रस बरसाओ।।


 


प्रीतिपान कर,


नित्य ध्यान कर।


हृदय-स्नान कर।।


 


भंग जमाओ,


मधु महंकाओ।


मौज उड़ाओ।।


 


चलो सरासर,


प्रेम किया कर।


श्याम रूप धर।।


 


रचनाकार: डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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