डॉ०रामबली मिश्र

मेरा प्यारा मीत


 


मेरा प्यारा मीत ही,जीवन का है सार।


यह जीवन का अर्थ है, दे कर खुशी अपार।।


 


मीत मिला तो जिंदगी, हो जायेगी पार।


बिना मीत के जिंदगी, लगती बहु बेकार।।


 


दुःख का साथी मीत ही , भर देता है घाव।


साझा करता सहज सब, देता शीतल छाँव।।


 


बड़ा मीत से कुछ नहीं, मीत महान अतुल्य।


संभव नहीं है आँकना, कभी मीत का मूल्य।।


 


मीत मधुर मादक सरल, यह अमृतमय गेह।


अमृत कलश समान है, इसका सारा देह।।


 


रोम-रोम में रस भरा, वाणी में मधु-स्नेह।


बौना लगता स्वर्ग भी,बड़ा मीत-मन-गेह।।


 


ईश्वर जैसे मीत का, करना नित सम्मान।


तुलना करके मीत का,मत करना अपमान।।


 


एक मीत पर्याप्त है, यह सुंदर पतवार।


भर देता है प्रेम से, जीवन का भंडार।।


 


मीत मिले तो आप सा, आप प्रेम साकार।


आप -मीत से जिंदगी, की नौका है पार।।


 


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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