निशा अतुल्य

नित छंद 12 मात्रिक :-


चार चरण छंद है प्रति चार अथवा दो दो चरण तुकांत अनिवार्य पदांत 111 या 1 2 


 


 


शीश धरूँ, कृष्ण चरण।


नाम तेरा दुख हरण


तुम संग लागी लगन 


तुम बने राधा सजन ।


 


हो जाऊं प्रेम मगन


नाचूँ ले प्रेम अगन


साँवरा मेरा सनम


हो मिलन बस इस जनम ।


 


सांस गई दहक दहक


फिरती हूँ महक महक 


बातें हो चहक चहक


चलती हूँ बहक बहक ।


 


स्वरचित 


निशा"अतुल्य"


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