"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
आत्मविश्वास
क्या लुटेगा जमाना
खुशियों को हमारी
हम तो खुद अपनी खुशियां
दूसरों पर लूटा कर जीते हैं
कर्म ही हमारा भाग्य हैं
कर्म ही है सबका भगवान
समय देखकर कर्म करे तो
होगा मानव का कल्याण
हर मानव है अर्जुन यहां
परम आत्मा है श्री कृष्ण
आत्म ज्ञान से ही हल हुआ है
मन के सारे प्रश्न
क्या लुटेगा जमाना
खुशियों को हमारी
हम तो खुद अपनी खुशियां
दूसरों पर लूटा कर जीते हैं
जो बीता सो बीत गया
सहले होकर मौन
बार बार क्यों भूत को
करता है तू याद
जो जीते हैं आज में
उसके सर पर हैं,खुशियों की ताज
जो भी करता है,ईश्वर
उसमें रख संतोष
उनसे पंगा लिया तो
खो बैठोगे होश
जब तक मन में अहम है
नहीं मिलेंगे भगवान
जिसने जाना स्वयं को
वहीं है सच्चा इंसान
क्या लुटेगा जमाना
खुशियों को हमारी
हम तो खुद अपनी खुशियां
दूसरों पर लूटा कर जीते है
नूतन लाल साहू
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