अभिवादन (तिकोनिया छंद)
अभिवादन कर,
सम्मानित कर।
सदा प्रेम कर।।
श्रद्धा रखना,
इज्जत करना।
उन्नति करना।।
विद्वान बनो,
बलवान बनो।
गहना पहनो।।
बनो यशस्वी,
दिखो तपस्वी।
रह ओजस्वी।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी के दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें