डा. नीलम

 *चित्राभिव्यक्ति*


यहाॅ भी ढूंढते

आ गए

पूछने मुझसे

कि किस तरह

रहता हूं मैं

एकांत में

शहर की गहमागहमी

से दूर

जंगली जानवरों 

के बीच निर्भिक


मैं तो रहा मगन 

अपने आप में ही

खुदाई नेमत की

खूबसूरत वादियों में

थे शजर,शावक,श्वान

हमदम मेरे

हरियाली से हर्षित

मन सदा रहा

देकर स्वत्व सर्वस्व

खुशहाल कैसे रहते हैं

सीखा मैंनें

सच जंगल तो शहरों में

दिखाई देता है

ईंसानी चोलों में

जानवर की रुह

बसती है ।


        डा. नीलम

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