सुनीता असीम

अगर नफरत रही तो प्यार भी है। निगाहे यार में इकरार भी है। **** विरह की आग में जलती है काया। मिलन अपना बड़ा दुश्वार भी है। **** नज़र हमसे सदा क्यूँ फेर लेते। मुहब्बत का किया इज़हार भी है। **** ज़रा सी चूड़ियां हमको दिला दो। बिरज में रंग का त्यौहार भी है। **** निराला है कन्हैया नन्द जू का। कभी सीधा कभी पुरकार भी है। **** वही है आस जीने की हमारी। वही साकार प्राणाधार भी है। **** इशारे से सुनीता को बता दो। जुड़ा उसका तुम्हारा तार भी है। **** सुनीता असीम

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