मन्शा शुक्ला

 परम पावन मंच का सादर नमन

                 सुप्रभात  

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मोर मुकुट है शीशपर,उर बैजन्ती माल।

रूप सलोना साँवरा,तिलक केसरी भाल।।


वंशी वट वेणू बजी, नटवर नंद किशोर।

गोप गोपिका मिल चले,सुन मुरली का शोर।।


 गोप बाल संग खाते,माखन माखनचोर।

 लीला नटखट दिखाते , नटवर नंदकिशोर।।



चित्त चुरा के ले गये ,मेरा मनहर श्याम।

मूरत राधे श्याम की,सुमिरन आठों याम।।


सुन्दर छवि राधे किशन,सुन्दर सुषमा धाम।।

जग की भव बाधा हरो,राधा मोहन श्याम।।

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मन्शा शुक्ला

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