डॉ निर्मला शर्मा

 वीर महाराणा प्रताप

राजस्थान री माटी पर ,जब राणा रो जनम हुयौ।

जेठ शुक्ल री तृतीया पर ,कुम्भलगढ़ में सूरज चमक्यो।

राजस्थान री आन रो रखवालो, वा अजब बड़ो सैनानी।

जीवन भर स्वाभिमान री खातर, देतो रह्यो कुर्बानी।

सिसोदिया वंश री धरोहर ,वा वीर बड़ो सम्मानी।

कुम्भलगढ़ रे किला में जन्मयो, जिसरी मैं लिखूँ कहानी।

माता जिसरी जीतकंवर सा ,पिता हैं वीर उदयसिंह।

त्याग, शौर्य, वीरता बलिदान में ,सदा आगे रह्यो वा सिंह।

पूत रा पाँव पालना दीखे, या कहावत चरितार्थ कर माना।

बालकपन सूं सब गुण दीखै, व्यक्तित्व महान था राणा।

राजस्थान री आन, बान, और शान रो वा रखवालो।

उसरे आगे जो कोई आयौ, मुँह की खायौ भाग्यो।

हल्दीघाटी रा युद्ध री, धरती पै प्रसिद्ध कहानी।

मुगलां री सेना रा छक्का छुडायो, वा तलवार रो धणी।

चेतक री जब करै सवारी, रण में तलवार चलावै।

बैरी री सेना डर भागै, केसरिया बाना ही लहरावै।

दानी भामाशाह ने भी, आपणो कर्तव्य निभायौ।

भीलां रे सहयोग सूं ,राणा नै अकबर कूं झुकायौ।

वा वीर शिरोमणि देशभक्त नें, झुक-झुक शीश नवाऊँ।

या वीरां री धरती पर, ऐसो व्यक्तित्व कभी न पाऊँ।

वा स्वाभिमान रो सूरज, वा तो वीर बड़ौ बलिदानी।

माटी रो करज चुकाने कूं ,जीवन री दी कुर्बानी।


डॉ निर्मला शर्मा

दौसा राजस्थान

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