डॉ० रामबली मिश्र

 आदि-अंत तक    (तिकोनिया छंद)


आदि-अंत तक,

जीवनभर तक।

जी भर तबतक।।


जन्म-मृत्यु तक,

सकल समय तक।

मन हो जबतक।।


स्वस्थ रहोगे,

काम करोगे।

सुखी बनोगे।।


बन उदाहरण।,

प्रिय उच्चारण।

शुभ्र आचरण।।


आजीवन कर,

श्रम से रचकर।

दिनकर बनकर।।


कर्म करोगे,

धर्म बनोगे।

मर्म रचोगे।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801

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