आज मौनी अमावस्या के उपलक्ष्य में मेरे द्वारा रचितकुदरती दोहे--
घन के उर से कर रही रिमझिम बूंदे गान।
बिना भेद के कर रही अभिसिंचित श्रीमान।
भीग गया तन मन मेरा भीग गये है प्रान।
मौन अमावस्या सुखद हुआ करो स्नान।
मौन धरो दानी बनो जब तक यह में प्रान।
गुरुवारी मौनी पड़ी करो दान स्नान।
दान पुण्य के साथ ही करो प्रेम व्यवहार।
जन जन में उपजाइये शिक्षा प्रद सहकार।
ठिठुरन आयी लौट कर लगे सभी को शीत।
जीवन मे सबको मिले सीधा सच्चा मीत।
राग द्वेष मिट जाय सब संकट का हो अंत।
सबको शुभ कारी लगे सुंदर सुखद बसन्त।
सोमवती मौनी अमावस्या पर विशेष-
आत्मीय मित्रो आज सोमवती मौनी अमावस्या पर मौन व्रत एवम मौन रहते हुए स्नान का महत्व है।स्मृतिशेष मेरी पूज्य माता जी का कथन है कि "याक चुप्प म हजार बलाई टरती है" वास्तव में आप के पास सबसे बड़ा साधन अस्त्र शस्त्र है कोई तो वह मौन है अतः जब भी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े मौन आपको सारी समस्याओं से निजात देकर लक्ष्य तक पहुंचाएगा।आप सभी लोग सदैव प्रसन्न रहे।
आशुकवि नीरज अवस्थी मो0-9919256050
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